शिक्षण का अर्थ तथा उद्देश्य

शिक्षण का अर्थ- प्रशिक्षण का अर्थ ज्ञान प्रदान करने से लगाया जाता है| बालक को किसी भी ढंग से ज्ञान प्रदान किया जाए उसे शिक्षण शब्द की ही संज्ञा दी जाती है|
शिक्षण शब्द अंग्रेजी के टीचिंग(teaching) शब्द का हिंदी रूपांतरण है| शिक्षण से अभिप्राय सीखना है|
डॉ. राधाकृष्णन के अनुसार," शिक्षा को मनुष्य और संपूर्ण समाज का निर्माण करना चाहिए| इस कार्य को किए बिना शिक्षा  अनुवीक और अपूर्ण है|"
रायबर्न के अनुसार,"शिक्षा के तीन केंद्र बिंदु है- अध्यापक, बालक और विषय| शिक्षण इन तीनों में स्थापित किया जाने वाला संबंध है|"
क्लार्क के अनुसार," शिक्षण वह प्रक्रिया है जो शिक्षार्थी के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए नियोजित तथा संचालित की जाती है|"
उपरोक्त परिभाषाओं तथा विभिन्न शिक्षा शास्त्रियों के मतों का अवलोकन एवं समीक्षा करने के उपरांत शिक्षण की निम्नलिखित धारण स्पष्ट होती है-
1. शिक्षण बालक के व्यवहार में परिवर्तन करने की प्रक्रिया है|
2. शिक्षण एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है|
3. शिक्षण सामाजिक एवं व्यवसायिक प्रक्रिया है|
4. शिक्षण विकासात्मक प्रक्रिया है|
5. शिक्षण एक तार्किक क्रिया है|
6. शिक्षण आमने-सामने की प्रक्रिया है|
7. शिक्षण प्रेरणात्मक प्रक्रिया है|
8. शिक्षण एक कुशल निर्देशन है|
9. शिक्षण त्रिमुखी प्रक्रिया है|
10. शिक्षण औपचारिक, अनौपचारिक प्रक्रिया है|
शिक्षण का उद्देश्य-
             शिक्षा के उद्देश्य से ही शिक्षण के उद्देश्यों का निर्माण होता है| जिस प्रकार शिक्षा के उद्देश्य परिवर्तनशील हैं वैसे ही शिक्षण के भी उद्देश्य परिवर्तनशील है|
1. बालक को उसके जीवन से संबंधित उपयोगी ज्ञान प्रदान कराना|
2. शिक्षण का उद्देश्य बालकों को सीखने के लिए प्रेरित करना क्योंकि छात्रों के प्रेरित ना होने पर शिक्षण अधिगम उपयुक्त नहीं होगा|
3. बालक की मानसिक क्षमता का विकास करना|
4. बालकों में पाई जाने वाली पाशविक प्रवृत्तियों में सुधार करना तथा मानवीय गुणों का विकास करना|
5. बालकों में क्रियाशीलता का विकास करना तथा उन्हें क्रिया करने का अवसर प्रदान करना|
6. बालकों में संवेदनशीलता का विकास करना|
7. बालकों को प्राप्त सैद्धांतिक ज्ञान को व्यवहारिक रूप में प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना|
8. बालकों में वातावरण के प्रति समायोजन की क्षमता प्रदान करना|
9. बालकों में आत्मविश्वास तथा आत्मानुभूति करने योग्य बनाना|
10. बालकों में सृजनात्मक क्षमता का विकास करना तथा सृजनात्मक कार्य के लिए प्रेरित करना|
संक्षेप में शिक्षण के उद्देश्य-
1. बौद्धिक शिक्षण
2. शारीरिक स्वस्थ तथा रहन-सहन
3. व्यक्तित्व का विकास एवं नेतृत्व
4. स्वालंबन तथा व्यवसायिक रूपता
5. मानसिक क्षमता का विकास
6. क्रियाशीलता का विकास