सिंधु सभ्यता

सिंधु सभ्यता

        ● रेडियो कार्बन c14 जैसी नवीन विश्लेषण पद्धति के द्वारा सिंधु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2400 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व मानी गई है|
● सिंधु सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी ने की थी|
● सिंधु सभ्यता को प्राकऐतिहासिक अथवा कांस्य युग में रखा जा सकता है| इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ एवं भूमध्यसागरीय थे|
● सिंधु सभ्यता के सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल दाश्क नदी के किनारे स्थित सुतकांगेडोर(बलूचिस्तान),पूर्वी पुरास्थल हिंडन नदी के किनारे आलमगीरपुर (जिला मेरठ, उत्तर प्रदेश) उत्तरी पुरास्थल चिनाव नदी के तट पर अखनूर के निकट मांदा(जम्मू कश्मीर) तथा दक्षिणी पुरास्थल गोदावरी नदी के तट पर दाइमाबाद (जिला अहमदनगर, महाराष्ट्र)
● सिंधु सभ्यता या सैंधव सभ्यता नगरीय सभ्यता थी|  सैंधव सभ्यता से प्राप्त परिपक्व अवस्था वाले स्थलों में केवल 6 को ही बड़े नगर की संज्ञा दी गई है;  मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, गणवारीवाला, धौलावीरा, राखीगढ़ी एवं कालीबंगन|
● स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात हड़प्पा संस्कृति के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खोजे गए हैं|
लोथल एवं सूतकोतदा - सिंधु सभ्यता का बंदरगाह था|
● जूते हुए खेत और नक्काशीदार ईंटों के प्रयोग का साक्ष्य कालीबंगन से प्राप्त हुआ है|
● मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्नागार  संभवता सेंधव सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है
● मोहनजोदड़ो से प्राप्त वृहत स्नानागार एक प्रमुख स्मारक है, जिस के मध्य स्थित स्नान कुंड 11.88 मीटर लंबा, 7.0 1 मीटर चौड़ा, एवं 2.43 मीटर गहरा है|
● अग्निकुंड लोथल एवं कालीबंगन से प्राप्त हुए हैं|
● मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक शील पर तीन मुख वाले देवता(पशुपतिनाथ) की मूर्ति मिली है| उनके चारों ओर हाथी, गेंडा, चीता एवं भैंसा विराजमान है|
● मोहनजोदड़ो से नर्तकी की एक कांस्य मूर्ति मिली है|
● हड़प्पा की मुहरों पर सबसे अधिक एक श्रृंगी पशु का अंकन मिलता है|
● मनके बनाने के कारखाने लोथल एवं चन्हूदड़ो  में मिले हैं|
● सिंधु सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक है| यह लिपि दाईं से बाईं ओर लिखी जाती थी| जब अभिलेख एक से अधिक पंक्तियों का होता था तो पहली पंक्ति दाएं से बाएं और दूसरी बाएं से दाएं ओर लिखी जाती थी|
● सिंधु सभ्यता के लोगों ने नगरों तथा घरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनाई|
● घरों के दरवाजे और खिड़कियां सड़क की ओर ना खुलकर पिछवाड़े की ओर खुलते थे| केवल लोथल नगर के घरों के दरवाजे मुख्य सड़क की ओर खोलते थे|
● सुरकोरदा, कालीबंगन एवं लोथल से सेंधवकालीन घोड़े के अस्थिपंजर मिले हैं|
● सिंधु सभ्यता में मुख्य फसल गेहूं और जौ |
● सिंधु वासी मिठास के लिए शहद का प्रयोग करते थे|
● रंगपुर एवं लोथल से चावल के दाने मिले हैं, जिनसे धान की खेती होने का प्रमाण मिलता है| चावल के प्रथम साक्ष्य लोथल से ही प्राप्त हुए हैं|
● तौल की इकाई संभवत: 16 के अनुपात में थी|
● सैंधव सभ्यता के लोग यातायात के लिए दो पहियों एवं चार पहियों वाली बैलगाड़ी या भैंसा गाड़ी का उपयोग करते थे|
● मेसोपोटामिया के अभिलेखों में वर्णित मेलूहा शब्द का अभिप्राय सिंधु सभ्यता से ही है|
● संभवत: हड़प्पा संस्कृति का शासन वणिक वर्ग के हाथों में था|
पिग्गट  ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वा राजधानी कहां है|
● सिंधु सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानकर उसकी पूजा किया करते थे|
● वृक्ष पूजा एवं शिव पूजा के प्रचलन के साक्ष्य भी सिंधु सभ्यता से मिलते हैं|
स्वास्तिक चिन्ह संभवत: हड़प्पा सभ्यता की देन है| इस चिन्ह से सूर्योपासना का अनुमान लगाया जाता है| सिंधु घाटी के नगरों में किसी भी मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं|
● सिंधु सभ्यता में मातृ  देवी की उपासना सर्वाधिक प्रचलित थी|
● पशुओं में कूबड़ वाला सांड़  इस सभ्यता के लोगों के लिए विशेष पूजनीय था|
● स्त्री मृण्मूर्तियां अधिक मिलने से ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि सैंधव समाज मातृसत्तात्मक था|
● सिंधु वासी सूती  एवं ऊनी वस्त्रों का प्रयोग करते थे|
● मनोरंजन के लिए सेंधव वासी मछली पकड़ना,  शिकार करना, पशु पक्षियों को आपस में लड़ाना, चौपड़ और पासा खेलना आदि साधनों का प्रयोग करते थे|
● सिंधु सभ्यता के लोग काले रंग से डिजाइन किए हुए लाल मिट्टी के बर्तन बनाते थे|
● सिंधु घाटी के लोग तलवार से परिचित नहीं थे|
● कालीबंगन एकमात्र हड़प्पाकालीन स्थल था, जिसका निचला शहर भी किले से घिरा हुआ था| कालीबंगन का अर्थ है काली चूड़ियां| यहां से पूर्व हड़प्पा स्तरो के खेत जोते जाने के और अग्नि पूजा की प्रथा के प्रमाण मिले हैं|
पर्दा प्रथा एवं वेश्यावृत्ति सिंधु सभ्यता में प्रचलित थी|
● शव को जलाने एवं गाड़ने वाली दोनों प्रथाएं प्रचलित थी| हड़प्पा में शव को दफनाने जबकि मोहनजोदड़ो में जलाने की प्रथा विद्यमान थी| लोथल एवं कालीबंगा में युग्म  समाधियां मिली है|
● सैंधव सभ्यता के विनाश का संभवत सबसे प्रभावी कारण बाढ़ था|
● आग में पकी हुई मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता है|

सैंधव  सभ्यता के प्रमुख स्थल: नदी, उत्खनन कर्ता एवं वर्तमान स्थिति