बाल विकास का अर्थ(meaning of child development )

बाल विकास का अर्थ-

(Meaning of child development )
    क्रो एवं क्रो के अनुसार,"बाल मनोविज्ञान वह वैज्ञानिक अध्ययन है जो व्यक्ति के विकास का अध्ययन गर्भकाल के आरंभ से किशोरावस्था की प्रारंभिक अवस्था तक करता है|"
ड्रेवर के अनुसार," बाल मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें जन्म से परिपक्व अवस्था तक विकसित हो रहे मनुष्य का अध्ययन किया जाता है|"
                          - इन परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बाल मनोविज्ञान गर्भ अवस्था से लेकर परिपक्व अवस्था तक होने वाली मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं का वैधानिक रुप से अध्ययन करता है| आधुनिक मनोवैज्ञानिक बाल मनोविज्ञान के स्थान पर बाल विकास शब्द का प्रयोग करते हैं किंतु दोनों में अंतर अवश्य है| बाल मनोविज्ञान में बाल व्यवहार का अध्ययन किया जाता था किंतु मनोवैज्ञानिकों ने यह अनुभव किया कि व्यवहार संबंधी अध्ययनों से यह पता नहीं चल पाता कि बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ-साथ व्यवहार में जो परिवर्तन आते हैं उसके क्या कारण हैं इसलिए व्यवहार संबंधी अध्ययन अधूरा रह जाता है| तब मनोविज्ञान में दो अध्ययन प्रणाली प्रारंभ हो गई तथा बाल विकास शब्द का प्रयोग हुआ| बाल मनोविज्ञान की अपेक्षा बाल विकास का क्षेत्र अधिक विस्तृत है|
             बाल मनोविज्ञान उन नियमों का अध्ययन करता है जिनके द्वारा बच्चे के जीवन को अधिक सरल, सुखी, तनावरहित बनाया जा सकता है| बाल मनोविज्ञान विभिन्न प्रयोगों द्वारा बालक के शारीरिक, मानसिक, सांवेगिक, सामाजिक विकास की अवस्थाओं का अध्ययन कर अभिभावकों, अध्यापकों, समाज के लिए बालकों को समझने के आसान तरीके निकालता है| बाल मनोविज्ञान विशेष उम्र के बच्चों के व्यवहारों, रुचियों के विषय में बताता है जो कि समझने में सहायक होते हैं|
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक हरलाक ने बाल मनोविज्ञान तथा बाल विकास में निम्न अंतर बताए हैं-
1. बाल विकास बालक पर वातावरण एवं अनुभव के प्रभाव को बाल मनोविज्ञान की तुलना में अधिक महत्व देता है|
2. बाल विकास, बच्चे की विकास प्रक्रिया में किन परिस्थितियों तथा विधियों के कारण अंतर आता है इसका अध्ययन करता है जबकि बाल मनोविज्ञान उन विकास के परिणाम एवं उत्पादन पर जोर देता है|
3. बाल विकास जब शिशु गर्भ में होता है तभी से उसकी विकास का अध्ययन प्रारंभ कर देता है जबकि बाल मनोविज्ञान जन्म के बाद से उसके विकास का अध्ययन करता है|
4. बाल विकास बच्चे के उम्र बढ़ने के साथ-साथ बालक के शारीरिक व्यवहार रुचि तथा लक्ष्य में हुए परिवर्तन का अध्ययन करता है| बच्चों में आए परिवर्तनों के कारण तथा इस परिवर्तन से उनके व्यवहार में हुए परिवर्तनों का अध्ययन करता है| यह परिवर्तन बच्चों में व्यक्तिगत होते हैं या सार्वभौमिक, इनका अध्ययन करता है जबकि बाल मनोविज्ञान बाल व्यवहार के अलग-अलग क्षेत्रों का अध्ययन करता है|
अक्सर बच्चों द्वारा पूछे गए प्रश्नों को जिज्ञासाओं को बेकार फालतू बातें कहकर टाल या दबा दिया जाता है| यह डांट-डपट, जिज्ञासा, समस्या का निदान ना होना उनके अवचेतन मन में ग्रंथियों को उत्पन्न करता है जो कि उनके विकास में बाधक होती हैं बाल अध्ययन विधियां इन सब का कारण ढूंढती हैं और समाज को बताती हैं|
बाल अध्ययन विधियां उसकी शिक्षा में सहायक होती हैं क्योंकि इन विधियों के द्वारा विद्वान बच्चे की रुचि विशेष I.Q. के विषय में ग्रहण करने की क्षमता के विषय में जानते हैं तथा उसी के अनुसार बच्चों के स्कूली पाठ्यक्रम तथा शिक्षा प्रबंध करते हैं|